Funny thing about pictures is that some fade away, some tear apart and some are lost, yet, we don't miss a single occasion to immortalize ourselves on a piece of paper or now as we do it, the pixels. I say, keep hold of your memories longer than those pictures because if they're lost, we're left with nothing.
कागज़ पे वो तस्वीर तुम्हारी
कागज़ पे वो तस्वीर तुम्हारी
कब तक काम आएगी ?
बस कुछ सालों में उसकी
रंगत सब उड़ -उड़ जाएगी .
किस क़दर छुपाये बैठी थी
तस्वीर किताब के पन्नो में .
के हाथ किसी के न आये
वो बात लबों पे थमी हुई .
न समझ मुझे पर दुनिया की
इस खबर से थी अनजान बड़ी ,
कोई रुका कभी इस मंज़र पे
जहाँ यादों की नदी है बहती ?
जब मन ही ये बेईमान बना
समय का चक्र बलवान रहा
जो दिल भूला उस चेहरे को
तस्वीर कहाँ मेरे काम आई ?
वो वक़्त गया , वो ज़ख्म गया
वो घाव मेरा भी भर ही गया .
जब सालों बाद फिर मिली वो किताब ,
तो चेहरा तक न याद रहा .
Kaagaz pe wo tasveer tumhari
Kab tak kaam aayegi?
Bas kuch saalo mein uski
rangat sab ud-ud jayegi.
Kis qadar chupaye baithi thi
Tasveer kitab ke panno mein.
Ke haath kisi ke na aaye
Wo baat labon pe thami hui.
Na samajh mujhe par duniya ki
Iss khabar se thi anjaan badi,
Koi ruka kabhi iss manzar pe
Jahan yaadon ki nadi hai behti?
Jab mann hi ye beimaan bana
Samay ka chakr balwaan raha
Jo dil bhoola uss chehre ko
Tasveer kahan mere kaam aayi?
Wo waqt gaya, wo zakhm gaya
Wo ghaav mera bhi bhar hi gaya.
Jab saalo baad phir mili wo kitaab,
Toh chehra tak na yaad raha.
Wow wonderful string of thoughts wo chera hi na yaad raha ! - Samir
ReplyDeleteThank you so much. :)
ReplyDeleteWow... Very nice... I always envy people who an write stuff in hindi so well... Amazing
ReplyDeleteकभी रात के ख्वाबो में कभी दिन के यादो में तेरा ही इंतजार करते है न हो सका जिस दिन तेरा दीदार तोह तेरे तश्वीर से बात करते है
ReplyDeleteओढ़ कर चांदनी सो जाते है इन आश में की तुभी छत पर करती होगी बात इस चांदनी से
कभी रात के अंधेरो में कभी दिन के उजालो में तेरा ही इंतजार करते है
भाव काफी सुंदर है , पर मुझे लगता है आप इसको और भी बेहतर तरीके से पंक्तियों पिरो सकते थे |
ReplyDeleteहलाकि ये सिर्फ मेरा ख्याल | :)